# पुनर्मनमिलन गीत #
(अर्धसदी पर रुड़की-विश्वविद्यालय की स्मृतियाँ)
भागीरथ ले कर आये पावन गंगाजल धारा |
थॉम्प्सन-कॉलेज सिविलज्ञानगंगा हित बना सहारा||
जीवन सरिता कर्मों की धारा बन हुई प्रवाहित|
यांत्रिक आभियांत्रिकी ज्ञानगंगा में हुई समाहित||
विश्वविद्यालय से आइआइटी अब संस्थान हमारा|
थॉम्प्सन-कॉलेज सिविलज्ञान गंगा हित बना सहारा||
हैंगर में साप्ताहिक फिल्मों की थी सदा प्रतीक्षा|
दीक्षान्त-समारोह में यहाँही, ली थी अन्तिम-दीक्षा||
याद रहेगा सदा शताब्दी द्वार का यही किनारा|
थॉम्प्सन-कॉलेज सिविलज्ञानगंगा हित बना सहारा||
गोविन्द-भवन आजाद-भवन रवीन्द्र-भवन के प्रांगन|
देख अभी भी रोमांचित हो जाता अपना तन मन||
कर्म-पथ विज्ञान-पथ चल व्यवसायिक लक्ष्य संवारा|
थॉम्प्सन-कॉलेज सिविलज्ञान गंगा हित बना सहारा||
कमलानी मनकानी शंकर लाल गुरु थे अपने |
गेंधर जी की वर्कशाप आरपी के थर्मल सपने||
अनुशासन में रहें डीन एस आर सिंह ने हुंकारा |
थॉम्प्सन-कॉलेज सिविलज्ञान गंगा हित बना सहारा||
क्लास सीनियर पीके अग्रवाल की बात अजब थी|
एनसीसी में एसजी अवस्थी की भी पकड़ गजब थी||
यूनिवर्सटी-सीनियर पंत मधुर-व्यवहार से लगता प्यारा |
थॉम्प्सन-कॉलेज सिविलज्ञान गंगा हित बना सहारा ||
नहीं भूलपाते नवयौवन पर संग देखे सपने|
साथमें खाते पढ़ते खेलते सब लगते थे अपने||
अर्धसदी पर पुनर्मनमिलन से भर दें रंग न्यारा |
थॉम्प्सन-कॉलेज सिविलज्ञान गंगा हित बना सहारा ||
-भगवती प्रसाद गुप्त
Kya baat hai papa. Bahut sunder likhi hai
Sent from my iPhone
>
Excellent sir