भारत भाग्य विधाता
हिमगिरि से सागर तक विस्तृत धरा धान्यधन दाता|
जनगण मंगलदायक जय हो भारत भाग्य विधाता ||
पुनः बहे नगरों में निर्मल पावन सरिता धारा |
शुद्ध पवन से हो अप्रदूषित वातावरण हमारा ||
अन्न शाक फल दूध वायु जल हो सुखस्वास्थ्यप्रदाता |
जन गण मंगलदायक जय हो भारत भाग्य विधाता ||
जनप्रतिनिधि फिर करें सुनिश्चित वैधानिक परिभाषा|
भ्रष्ट न हों नेता अधिकारी पूर्ण हो जन अभिलाषा ||
योग्य बढ़ें अवरोध बनें न जाति धर्मं का नाता |
जनगण मंगलदायक जय हो भारत भाग्य विधाता ||
उद्योगों से विकसित हो इस धरती का हर कोना |
फैले ऐसा ज्ञान कि मिट्टी भी होजाये सोना ||
कम्प्यूटर तकनीक प्रबंधन जग में मान बढाता |
जन गण मंगलदायक जय हो भारत भाग्य विधाता ||
अंतरिक्ष में उपग्रह अपने हों जनमंगलकारी |
सैन्यशक्तिसमार्थ्य शत्रु के लिए रहे भयकारी ||
संस्कृति गौरव फैले इतना विश्व रहे गुण गाता |
जनगण मंगलदायक जय हो भारत भाग्य विधाता ||
– भगवती प्रसाद गुप्त